The Influence of Nepotism in Bollywood: Karan Johar, Star Kids, and the Journey of Struggling Artists. - बॉलीवुड में नेपोटिज्म का बोलबाला: करन जौहर, स्टार किड्स और संघर्षरत कलाकारों की कहानी

         Abhishek Kumar on X: "Who will decide who can get movie or not. @karanjohar  gang or public ? we pay for tickets we audience decided who is right for  acting, not karan

 बॉलीवुड, भारतीय सिनेमा का चमचमाता सितारा, लाखों लोगों के सपनों का मंच है। यह उद्योग विश्व स्तर पर भारत की पहचान को दर्शाता है और इसमें काम करने का सपना हर दूसरे व्यक्ति का होता है। लेकिन इस इंडस्ट्री का एक गहरा पहलू भी है, जो बार-बार सवालों के घेरे में आता है - वह है नेपोटिज्म। नेपोटिज्म, यानी परिवारवाद या भाई-भतीजावाद, जब संबंधों के आधार पर किसी व्यक्ति को आगे बढ़ने का मौका दिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में, नेपोटिज्म बॉलीवुड में एक अहम मुद्दा बन चुका है, और करन जौहर इस बहस के केंद्र में रहे हैं।

Nepotism in Indian cinema

नेपोटिज्म का मतलब और बॉलीवुड में इसकी शुरुआत

नेपोटिज्म का शाब्दिक अर्थ है 'रिश्तेदारों को बढ़ावा देना'। इसका मतलब होता है कि किसी काम में परिवार या संबंधों के कारण किसी को आसानी से अवसर मिल जाना। बॉलीवुड में नेपोटिज्म का इतिहास काफी पुराना है। पहले के जमाने में बड़े कलाकारों के बेटे-बेटियों को भी फिल्मों में जगह मिल जाती थी, लेकिन तब यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं था। 2000 के बाद से, जैसे-जैसे सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा, यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया। लोग अब न सिर्फ अपने पसंदीदा सितारों को फॉलो करते हैं, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के अंदरूनी मुद्दों पर भी बात करते हैं।

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करन जौहर और नेपोटिज्म का मुद्दा

करन जौहर, एक सफल निर्माता, निर्देशक और फिल्म निर्माता, अक्सर इस विषय के केंद्र में रहते हैं। उनके ऊपर आरोप है कि वे स्टार किड्स, जैसे आलिया भट्ट, वरुण धवन, अनन्या पांडे आदि को ज्यादा मौके देते हैं। उनके शो "कॉफी विद करन" में भी हम देखते हैं कि वे स्टार किड्स के साथ काफी सहज और दोस्ताना व्यवहार करते हैं, जिससे आम जनता को यह आभास होता है कि वे नेपोटिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं।

स्टार किड्स को प्राथमिकता क्यों?

स्टार किड्स को फिल्मों में आसानी से अवसर मिलने का मुख्य कारण उनका परिवारिक प्रभाव और पहले से बनी पहचान है। फिल्म इंडस्ट्री में सफल लोगों के बच्चों के लिए फिल्मों में कदम रखना आसान होता है, क्योंकि उनके माता-पिता का नाम पहले से ही स्थापित होता है। इसमें प्रोड्यूसर और डायरेक्टर का भी आर्थिक दृष्टिकोण होता है। एक स्थापित नाम या चेहरा फिल्म को दर्शकों तक जल्दी पहुंचा सकता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह सही है? क्या यह उन संघर्षरत कलाकारों के लिए न्यायपूर्ण है जो टैलेंट के बावजूद इंडस्ट्री में जगह नहीं बना पाते?

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सुशांत सिंह राजपूत और नेपोटिज्म की बहस

सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु के बाद नेपोटिज्म का मुद्दा और भी अधिक संवेदनशील हो गया। कई लोगों का मानना था कि सुशांत को पर्याप्त मौके नहीं मिले और उनके साथ बाहरी होने का भेदभाव किया गया। सुशांत एक छोटे शहर से आए थे और अपने दम पर उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई थी। उनकी मौत के बाद, सोशल मीडिया पर बॉलीवुड में नेपोटिज्म के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखा गया। कई बड़े सितारों, जैसे करन जौहर और आलिया भट्ट, को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

Bollywood talent vs. nepotism

क्या टैलेंट का महत्व रह गया है?

नेपोटिज्म के बढ़ते प्रभाव के कारण दर्शकों का यह सवाल जायज है कि क्या बॉलीवुड में अब टैलेंट का कोई महत्व नहीं रहा? जबकि कुछ बाहरी कलाकार, जैसे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, इरफान खान, और मनोज बाजपेयी ने अपनी मेहनत से इंडस्ट्री में खास जगह बनाई है, लेकिन उनका सफर कहीं अधिक कठिन और लंबा रहा है। एक स्टार किड को वह पहचान आसानी से मिल जाती है, जो एक बाहरी कलाकार को सालों की मेहनत और संघर्ष के बाद मिलती है।

दर्शकों की भूमिका

नेपोटिज्म के बढ़ते मुद्दे पर दर्शकों की भी एक अहम भूमिका होती है। स्टार किड्स की फिल्मों को लोग देखने जाते हैं, जिससे वे फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल होती हैं। अगर दर्शक टैलेंटेड कलाकारों को प्राथमिकता देंगे और बाहरी लोगों की मेहनत को सराहेंगे, तो इंडस्ट्री में नेपोटिज्म का प्रभाव कम हो सकता है।

Bollywood casting and nepotism

क्या नेपोटिज्म को रोका जा सकता है?

बॉलीवुड में नेपोटिज्म को पूरी तरह खत्म करना शायद मुमकिन न हो, क्योंकि यह किसी भी उद्योग में एक हद तक मौजूद होता है। परिवार के सदस्यों को व्यापार में शामिल करना एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में यह इसलिए गलत लगता है, क्योंकि यहां हर व्यक्ति की सफलता जनता की सराहना पर निर्भर करती है। यदि प्रोड्यूसर और डायरेक्टर सिर्फ कनेक्शन के आधार पर फिल्मों में स्टार किड्स को लॉन्च करते रहेंगे, तो असली टैलेंट खो जाएगा और नए कलाकारों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे।


बॉलीवुड में नेपोटिज्म एक जटिल मुद्दा है, जो जल्द सुलझने वाला नहीं है। जब तक स्टार किड्स को उनके संबंधों के कारण प्राथमिकता मिलती रहेगी, बाहरी लोगों का संघर्ष यूँ ही जारी रहेगा। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दर्शक ही हैं, जो इस पर प्रभाव डाल सकते हैं। अगर दर्शक अच्छे टैलेंट को पहचानेंगे और सराहेंगे, तो इंडस्ट्री में एक सकारात्मक बदलाव संभव है।

 

Bollywood controversies 2024


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